नमस्कार… जनमुद्दा में आपका स्वागत है… मैं हूं देवेंद्र कुशवाहा… आज जनमुद्दे में हम बात करेंगे सरगुजा संभाग के उन 40 हजार से अधिक के आदिवासी परिवारों की… जो आज-तक अनसुचित जनजाति के प्रमाण-पत्र के लिए जद्दोजहद कर रहे है… आखिर क्यों नहीं मिल पा रहा इनको आदिवासी होने का प्रमाण- पत्र …इस कार्यक्रम में यही जानने का करेंगे प्रयास… तो आइए शुरु करते हैं… आदिवासी बताने की जद्दोजहद!
सरगुजा संभाग में निवास कर रहे कुछ जनजाति जाति प्रमाण पत्र के लिए तरस रहे हैं…यहां निवास करने वाले पंडो, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर जनजाति के लोगों का जाति प्रमाण-पत्र नहीं मिल पा रहा… इसलिए इन लोगों को संरक्षित अनुसूचित जनजाति बताने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है… क्यों हो रहा है ऐसा… इस रिपोर्ट में जानते है… फिर चर्चा भी करेंगे…
सरगुजा संभाग में 40 हजार से अधिक परिवार है… जो अपने जाति प्रमाण पत्र के अभाव में आदिवासी होने का कोई लाभ नहीं ले पा रहे… स्थिति यहां तक आ गई है कि एकलव्य आवासीय विद्यालय, आदिवासी छात्रावासों से बच्चों को बाहर निकाल दिया जा रहा है… थानों में प्रमाण पत्र पेश नहीं कर पाने के कारण गैर आदिवासियों पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज नहीं हो पा रहा है… शासन की योजनाओ में भी जाति प्रमाण-पत्र नहीं होने से परेशानियां झेलनी पड़ रही है..इधर समाज कल्याण समिति के प्रदेशाध्यक्ष उदय पंडो ने कहा है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में सरलीकरण किया जाना चाहिए….