मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में इस बार एक से बढ़कर एक तस्वीर उभर रही है… जिस बात की कोई कल्पना नहीं कर सकता…वह हो रहा है..ऐसे मोड़ पर नगर-निगम पार्षद उम्मीदवारों के टिकट फ़ाइनल हुए.. जहाँ चुनाव लड़ने की लालसा रखने वालों के लिए इस बार का मौसम सिर्फ ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ जैसा लग रहा है…नगर निकाय चुनाव में इस बार भी टिकट वितरण को लेकर भारी असंतोष देखने को मिला…कांग्रेस हो या बीजेपी.. दोनों ही दलों में टिकट वितरण को लेकर नामांकन के अंतिम क्षण तक किस तरह घमासान मचा रहा…भोपाल में तो नौबत यहां तक आ गई कि पार्षदी का टिकट न मिलने से नाराज बेचारे नेताजी की आंख से आंसू आ गए…और उनके मुहं से निकल गया कि इससे अच्छा है जनरल वालों को पार्टी जहर दे दे…एससी और ओबीसी के ही दम पर चुनाव लड़े…उधर देवास बीजेपी जिला कार्यालय में एक नेता ने पार्षद पद का टिकट न मिलने पर खुद पर केरोसिन उडेल लिया…और आत्मदाह की कोशिश की… यही हालात कांग्रेस में भी नजर आए…भोपाल में पार्षद के टिकट को लेकर कांग्रेसियों में लात-घूंसे तक चले… बाहरी के मुद्दे पर कांग्रेसी एक-दूसरे पर टूट पड़े… झूमाझटकी, मारपीट के साथ एक-दूसरे के साथ गाली-गलौज भी की गई…वार्ड 41 से पूर्व पार्षद फहीम खिचड़े को कांग्रेस से टिकट दिये जाने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पूर्व केन्द्र मंत्री सुरेश पचौरी, जिला अध्यक्ष कैलाश मिश्रा और मनोज शुक्ला के विरोध में जमकर नारेबाजी की…यह स्थिति दोनों ही दल में पूरे प्रदेश में दिखाई दी…