केंद्रीय शासन और मध्यप्रदेश शासन द्वारा जहां एक ओर शिक्षा के अधिकार को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं… वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर यह वादे और दावे खोखले नजर आते हैं… ताजा मामला शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाली सबसे बड़ी तहसील खनियाधाना के नीम तलैया क्षेत्र से है… जहां गरीब परिवारों के बच्चों को उचित शिक्षा के लिए एक सेटेलाइट विद्यालय की व्यवस्था की गई है… लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की इस व्यवस्था को शिक्षकों की मनमानी ने रसातल में भेजने का काम किया है…और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ होता नज़र रहा है… यहां पर स्कूली बच्चों को बैठने के लिए उचित जगह नहीं है… जिसके कारण बच्चों को गंदगी और घास फूंस पर खुले आसमान के नीचे बैठने को मज़बूर है… आपको बता दें की यहां मध्यप्रदेश शासन ने स्कूल तो स्थापित कर दिया पर कई वर्षों तक धरातल पर स्कूल गायब रहा… वार्ड वासियों ने मिलजुल कर स्कूल के लिए जमीन दान में दी… अब उस जमीन पर शासन के द्वारा स्कूल बनाने के लिए राशि आई तो स्कूल बनना प्रारंभ हुआ… अब स्कूल प्रभारी सीमा जैन पर आरोप है कि प्रभारी स्कूल की राशि में झोलझाल करके राशि आहरित कर ली… और स्कूल का निर्माण कार्य अधूरा रह गया… अब यहां पर बच्चों के लिए स्कूल तो है… निर्माण अधूरा होने के कारण बच्चों के लिए खुले आसमान के नीचे गंदगी और घास-फूस पर बैठना पड़ रहा है… स्थिति इतनी दयनीय है कि बच्चों को बैठने के लिए टाट पट्टी ब्लैक बोर्ड, स्वच्छ पीने का पानी, जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है… अब यहां पर बच्चे विद्यालय में पढ़ने आते हैं… तो अपने घर से बैठने के लिए बोरिया लाते हैं… और उन्हीं बोरियों पर बैठते हैं…