मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे़ से एक ओर जहां करीब 11 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है… वहीं युवाओं से जुडे़ इस मुद्दे पर प्रदेश में सियासत भी जमकर हो रही है…. बता दें एमपी हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में चार दिन पहले सुनवाई करते हुए नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता सिजू को सस्पेंड कर काउंसिल में प्रशासक नियुक्त करने के आदेश दिए थे… इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने उप संचालक डॉक्टर योगेश शर्मा को नर्सिंग काउंसिल में प्रशासक बनाया…इसके साथ ही 93 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई …इसमें भोपाल और इंदौर के नर्सिंग कॉलेज भी शामिल हैं…पूरा मामला समझने के लिए हमे पीछे जाना होगा …जब कोरोना काल के पहले साल 2018 और 19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे … लेकिन कोरोना के संकट में इनकी संख्या एक साल में ही तेजी से बढ़कर 667 हो गई … इस दौरान अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए … लोग प्राथमिक उपचार के लिए तक तरस गए … नियमों के हिसाब से हर नर्सिंग कॉलेजों के पास खुद का न्यूनतम 100 बेड का पेरेंटल हॉस्पिटल होना चाहिए था … जिसमें छात्रों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग कराई जा सके… लेकिन नियमों को ताक पर रखकर खोले गए इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो छोड़िए बिल्डिंग और मूलभूत संसाधन … फैकल्टी सब कागजों में ही था…इसी पर अब सियासी बयानबाजी तेज हो गई है…विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है..साथ ही नर्सिंग कॉलेजों को लेकर कार्रवाई की मांग भी की है… वहीं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने नेता प्रतिपक्ष पर पलटवार किया है… और कहा बीजेपी सरकार ने बड़ी संख्या में फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को समाप्त किया…जांच में कोई गड़बड़ी पायी गयी कार्रवाई की जाएगी