जोखिम में जान जिम्मेदार नाकाम, पढ़ना है ज़रुरी नदी पार करना मज़बूरी | JAN MUDDA |

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जोखिम में जान…जिम्मेदार नाकाम!

पढ़ना है ज़रुरी…नदी पार करना मज़बूरी!

आश्वासन बेमानी… गले तक पानी!   

…  झांसी ने प्राइमरी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने के लिए नौनिहालों को हर दिन जान जोखिम में डालनी पड़ती है…पढ़ाई के लिए नौनिहाल नदी को पार करने को मजबूर हैं… सिर पर स्कूली बैग और गले तक नदी का पानी… कुछ इस तरह से नौनिहाल अपने गांव से स्कूल में पढ़ने जाते हैं… क्यों यह जानने की कोशिश करेंगे इसी कार्यक्रम में… तो आइए शुरु करते हैं… जनमुद्दा…

झांसी मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर… बंगरा ब्लॉक में राजगिरी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहालों के लिए…पढ़ाई किसी युद्ध से कम नहीं है… गांव से इस विद्यालय की दूरी 3 किलोमीटर है…इस दौरान गांव और विद्यालय के बीच में एक छोटी नदी पड़ती है… जिस को पार करने के लिए ना तो कोई पुल है… और ना ही विद्यालय तक पहुंचने के लिए कोई दूसरा रास्ता… ऐसे में पढ़ाई करने के लिए बच्चों को नदी से हो कर गुजरना होता है…नदीं पर हुल नहीं… और पानी बच्चों के गर्दन तक पहुंचती है…बच्चों को अपना स्कूल बैग अपने सर पर रखना पड़ता है… नदी को पार करने के बाद बच्चे पूरी तरह से भीग जाते हैं…  इसके बाद विद्यालय आने से पहले 1 घंटे तक धूप में खड़े रहकर कपड़े भी सुखाने पड़ते हैं…वहीं इस बाबत विद्यालय के प्रधानाचार्य की अपनी मजबूरियां हैं…और गांव के प्रधान की लाचारियां भी… विद्यालय के प्रधानाचार्य का कहना है कि नदी पार करने के अलावा बच्चों के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है…  ग्राम प्रधान का कहना है कि कई बार जिम्मेदार अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों से इस समस्या के बारे में बात की…. एक बार यहां खुदाई भी हुई थी…  कुछ दिन काम हुआ…  फिर बंद हो गया…