भारत के खेमे में स्वदेशी कॉम्बैट हेलिकॉप्टर
भारतीय वायुसेना की ताकत में हुआ इजाफा
हर मिनट दागता है 750 गोलियां
LCH को नाम मिला ‘प्रचंड’
22 साल में तैयार हुआ LCH
भारत ने 22 साल पहले जो सपना देखा था, वो अब पूरा हो गया है। इतने सालों की मेहनत के बाद एयरफोर्स को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर यानि कि LCH मिल गया है। पाकिस्तान और चीन से जारी विवाद के बीच भारतीय वायुसेना की ताकत में अब और इजाफा हो गया है. आज भारतीय वायुसेना को स्वेदशी हल्के हमलावर हेलिकॉप्टर्स मिल गए हैं.सर्वधर्म प्रार्थना के बाद 10 LCH हेलिकॉप्टर्स को भारतीय वायुसेना में शामिल कर दिया गया..और बेहतर तरीके से इन हैलिकॉप्टर्स के बारे में जानने के लिए देखिए एक रिपोर्ट….
22 साल में तैयार हुआ LCH
कारगिल में महसूस हुई थी कमी
हर परिस्थिति में खरा उतरा लड़ाकू हेलिकॉप्टर
एलसीएच को नाम दिया गया ‘प्रचंड’
आतंकी गतिविधियों पर लगेगा विराम
2004 में पहली बार सेना को बताया कि वह अपने यूटिलिटी हेलिकॉप्टर ध्रुव के फ्रेम पर हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर बनाने पर काम कर रहा है।
2006 में HAL ने पहली बार सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि वह हल्का लड़ाकू हेलिकॉप्टर बनाने जा रही है। इस घोषणा के बाद विदेश से ऐसे हेलिकॉप्टर खरीदने की अपनी योजना को सीमित कर दिया।
2008 में इसके प्रोटोटाइप की पहली सफल उड़ान के बाद HAL ने घोषणा की थी कि हमने LCH बनाने की दिशा में आधा रास्ता तय कर लिया है। इसी दौरान तीसरी टेस्ट फ्लाइट भी सक्सेस रही और तय हो गया कि सेना जैसा लड़ाकू हेलिकॉप्टर चाह रही थी वह तैयार
हो चुका है।
2011 में फ्लाइट टेस्ट सफल होने के बाद इसे फाइनल ऑपरेशनल क्लियरेंस मिल पाई।
1 जुलाई 2012 को चैन्नई के पास इसका पहला फुल स्केल ट्रायल शुरू हुआ। इसके कुछ दिन बाद HAL ने LCH के दूसरे प्रोटोटाइप का ट्रायल समुद्र की सतह के ऊपर करना शुरू कर दिया। इस ट्रायल में फ्लाइट परफॉर्मेंस, भार वहन करने की क्षमता और इसके पंखों को परखा गया।
नवम्बर 2014 में तीसरे प्रोटोटाइप का ट्रायल किया गया, जो पहले दोनों प्रोटोटाइप से काफी हल्का था। इसने करीब 20 मिनट की उड़ान भरी। इसके बाद केन्द्र सरकार ने चौथे प्रोटोटाइप के लिए 126 करोड़ का बजट स्वीकृत किया..
2015 में लेह के ठंडे मौसम में इसका ट्रायल शुरू किया गया। इसके तहत 4.1 किलोमीटर के एल्टीट्यूड व माइनस 18 डिग्री के सर्द मौसम में इसके इंजन स्टार्ट करने से लेकर इसकी बैटरी की क्षमता सहित अन्य सभी ट्रायल में यह खरा उतरा।
मार्च 2016 के बाद दो महीने तक इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर, हेलमेट पाइंटिंग, एयर टु एयर मिसाइल, गन पावर और रॉकेट दागने तक अन्य वेपन सिस्टम का ट्रायल किया गया और इसे लाइसेंस मिला।
अगस्त 2017 में तत्कालीन रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने विधिवत रूप से इसके प्रोडक्शन की शुरुआत की। इसके बाद भी हथियार और रडार प्रणाली के विकास की प्रक्रिया जारी रही।
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सेना को अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर हमला करने वाले हेलिकॉप्टरों की बहुत कमी महसूस हुई थी। यदि उस दौर में ऐसे हेलिकॉप्टर होते तो सेना पहाड़ों की चोटी पर बैठी पाक सेना के बंकरों को उड़ा सकती थी।इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया एक्सपट्र्स ने और हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) परिसर में इसका निर्माण करने की चुनौती ली। सेना व एयरफोर्स की आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन तैयार की गई और इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया।इसकी कैनन से हर मिनट 750 गोलियां दागी जा सकती हैं। इसकी खासियतों की वजह से ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे प्रचंड नाम दिया है।
कारगिल के दौरान हाई एल्टीट्यूड वाले पहाड़ी क्षेत्र में लड़ाकू हेलिकॉप्टर की कमी महसूस हुई। तय किया गया कि ऐसा हेलिकॉप्टर तैयार किया जाए जिनमें तीन चीजें प्रमुख हो।
पहली: ज्यादा से ज्यादा वेपन के साथ गोला-बारूद का भार उठा सके।
दूसरी: इसमें पर्याप्त फ्यूल हो ताकि अधिक समय तक हवा में रह सके।
तीसरी: रेगिस्तान की गर्मी के साथ ही हिमालय के बहुत ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी में एक जैसी पॉवर हो। LCH के जोधपुर सिलेक्शन के पीछे कई कारण है। लेकिन, इनमें सबसे प्रमुख है पाकिस्तान बॉर्डर। दरअसल, अमेरिका निर्मित लड़ाकू हेलिकॉप्टर अपाचे की यूनिट कश्मीर क्षेत्र में पठानकोट में तैनात है। वहीं इस साल जून में सेना को मिले हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर की यूनिट को अगले साल की शुरुआत में बेंगलुरु से चीन बॉर्डर के पास तैनात कर दिया जाएगा।ऐसे में पश्चिमी सीमा (राजस्थान) पर लड़ाकू हेलिकॉप्टर की कमी महसूस हो रही थी। इधर, जोधपुर सबसे पुराना एयरबेस है। तय किया गया कि LCH की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात की जाए। राजस्थान में स्क्वाड्रन मिलने के बाद अपाचे और LCH दोनों बॉर्डर को आसानी से कवर कर सकेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने CH का नाम प्रचंड रखने की वजह बताई..उन्होंने कहा, “प्रचंड को वायुसेना में शामिल करने के लिए नवरात्र से अच्छा समय और राजस्थान की धरती से अच्छी जगह नहीं हो सकती है। यह भारत का विजय रथ है। LCH सारी चुनौतियों पर खरा उतरा है। दुश्मनों को आसानी से चकमा दे सकता है। लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर में गजब की चुस्ती-फुर्ती, गतिशीलता देखने को मिलेगी. ऊंचे स्थानों में वार करने के लिए इसका रेंज बढ़ाया गया है. यही नहीं LCH सभी मौसम में हमला करने की तकनीक से लैस है. इसका मतलब यह है कि कोहरा, बारिश जैसे मौसम की जटिलाताओं से इसकी मारक क्षमता पर कोई असर नहीं बढ़ेगा.
भारतीय वायुसेना लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स का एक स्क्वॉड्रन जोधपुर एयरबेस पर तैनात हो रहा है. इन हेलिकॉप्टरों की तैनाती से सीमा पर आसान हो जाएगी. आतंकी गतिविधियों पर विराम लगेगा.