ज्ञानवापी-मां श्रृंगारगौरी केस, नहीं होगी कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग |SPECIAL REPORT |

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ज्ञानवापी-मां श्रृंगारगौरी केस

वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला

हिन्दू पक्ष की मांग खारिज

नहीं होगी कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग

ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा

मुस्लिम पक्ष ने इसे बताया था फव्वारा

सेशन कोर्ट के आदेश पर कराया गया था सर्वे

कार्बन डेटिंग को किया खारिज, अस्तित्व नहीं- नित्यानंद राय

ज्ञानवापी-मां श्रृंगारगौरी केस में वाराणसी जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की हिन्दू पक्ष की मांग खारिज कर दी है… इसके बाद हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है… दरअसल, हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया था… जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था… आज इसी मुद्दे पर करेंगे चर्चा… तो आइए शुरु करते हैं…  

वाराणसी की सेशन कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है… इसके बाद हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है… हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे… दरअसल, वाराणसी की सेशन कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराया गया था…  इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया था… जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था हिंदू पक्ष ने अब इस कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की हालांकि, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया

कोर्ट के इस फैसले के बाद हिन्दू पक्ष के वकील नित्यानंद राय ने भी कहा था कि अगर हिन्दू पक्ष चाहे तो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकता है…. न्यायालय में इसके लिए विकल्प खुला है… उन्होंने कहा कि फिलहाल जहां शिवलिंगनुमा आकृति मिली है… वो जगह सील ही रहेगी… नित्यानंद राय ने कहा कि शिवलिंगनुमा आकृति की कार्बन डेटिंग को खारिज किया है… उसके अस्तित्व को खारिज नहीं किया है…. अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड पेनिनट्रेटिंग रडार का प्रयोग करने पर उक्त कथित शिवलिंगम को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का उल्लंघन होगा… इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है… अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व को सर्वे का निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा… और ऐसा आदेश देने से इस वाद में निहित प्रश्नों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है… इसलिए इस प्रार्थना प्रत्र को खारिज किया जाता है…

https://youtu.be/doP2H5wu-bw