संग्राम टोला गांव में समस्याओं से संग्राम
समस्याओं से जुझते संग्राम टोला के ग्रामीण
गांव में आज भी मूलभूत सुविधाओं का टोटा
जन प्रतिनिधि बेपरवाह… ग्रामीण परेशान
उपेक्षित गांव…नरक में नागरिक!
इस कार्यक्रम में हम बात करेंगे… सतना जिले के संग्राम टोला गांव की… जहां के नागरिक आज भी नरक में जीने को मजबूर है… क्यों जानेगे इसी कार्यक्रम में… तो आईए शुरु करते हैं… नरक में नागरिक…
एक तरफ सरकारें विकास के दावे करती है…वहीं देश में कई ऐसे स्थान हैं जहां के लोग आज भी मूलभूत समस्याओं से वंचित हैं…उसी में से एक है सतना जिले का संग्राम टोला गांव…. जहां के वाशिंदे मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं… यहां सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं पहुंच सकी हैं… सतना जिले के कोठी तहसील मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर… ग्राम पंचायत डांडीटोला के संग्रामटोला गांव के लोग…. वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं…. इन्हें सुलभ जीवनयापन के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं…. उन्हें मताधिकार तो मिला है लेकिन इसका फायदा चुनाव लड़ने वालों तक सीमित है…. चुनाव जीतने के बाद सरपंच से लेकर विधायक-सांसदों को इस गांव की बेहतरी के लिए समय नहीं मिला… आजादी के बाद से ही उपेक्षा का दंश इस गांव के लोग भोगते आ रहे हैं… ग्रामीणों के अनुसार इस गांव से शहर की ओर जाने के लिए पक्का मार्ग भी नहीं निर्मित हो पाया है… इसके अलावा उनका जीवन नरक समान है…यदि किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए तो यहां पर एंबुलेंस आदि का आना नामुमकिन है… ग्रामीण ही अपने बीमार स्वजन को चारपाई पर लिटाकर उसे कांधे पर रखकर शहर की ओर भागते हैं…बात करने पर ग्रामीणों का आक्रोश भी सामने आ जाता है… उनके अनुसार देश की आजादी को भले ही 75 साल से अधिक का वक्त हो गया हो… लेकिन उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला है… वे आज भी समस्यों के घेरे में जीवन जीने को विवश हैं… वहीं ग्राम संग्रामटोला में सेमरावल नदी में पुल ना होने की वजह से बरसात के 4 महीने ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं… आने जाने के लिए उन्हें जान जोखिम में डालकर नदी को पार करना पड़ता है… कई बार बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं…. आलम यह है कि ग्रामीणों ने नेताओं से लेकर अधिकारियों को अपनी समस्याओं के बारे में अवगत कराया… लेकिन आज तक ग्रामीणों को जुमले वादों एवं झूठे आश्वासन के अलावा कुछ और नहीं मिल पाया…