गुजरात में पुल टूटने के गुनहगार!
बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे छोड़ा पुल!
ज्यादा टिकट बेचने के लालच ने ली 190 जानें!
गुजरात सरकार का फैसला!
मृतकों का नहीं होगा पोस्टमार्टम!
PM मोदी कल मोरबी जाएंगे!
मोरवी का सस्पेंशन ब्रिज रविवार रात टूट गया…इसका गुनहगार कौन है? …जिस समय पुल टूटा पुल पर करीब 500 लोग मौजूद थे… इसमें अबतक 190 लोगों की मौत हो चुकी है… मृतकों में महिलाएं और 30 से अधिक बच्चे शामिल हैं… इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?… यह पुल पिछले 6 महीने से बंद था… इसे जल्दबाजी में चालू करने वाला कौन है ? …किसी भी पुल के रिनोवेशन के बाद…उसकी मजबूती जांची जाती है… क्या इसकी मजबूती जांची गई?… अगर हां तो पुल टूटा कैसे… अगर नहीं तो जांची क्यों नहीं की गई…और सबसे बड़ा सवाल यह कि प्रशासन ने घड़ी-बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे ही पुल का निर्माण क्यों छोड़ दिया? इन सभी सवालों को लेंगे जवाब… तो आइए शुरु करते हैं… मोरबी के गुनहगार…
गुजरात के मोरबी में पैदल यात्रियों के लिए बना सस्पेंशन ब्रिज रविवार रात को टूट गया… कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत हुई थी… आम लोगों के लिए खोले जाने के… महज 5 दिन बाद ही यह ब्रिज टूट गया… पुल पर मौजूद करीब 500 लोग नदी में जा गिरे… इनमें से 190 की अब तक मौत हो चुकी है… मृतकों में महिलाएं और 30 से ज्यादा बच्चे शामिल हैं… ब्रिज की केबल-जाली थामे रहे 200 लोगों को बचा लिया गया… मोरबी की पहचान कहा जाने वाला यह ब्रिज 143 साल पुराना था… इसकी चौड़ाई 1.25 मीटर है… यानी करीब इतनी ही कि दो लोग आमने-सामने से गुजर सकें… इसकी लंबाई 233 मीटर थी… इतनी कि अगर 500 लोग एक साथ पुल पर खड़े हों तो हर कोई लगभग एक दूसरे से टच करता हुआ ही दिखाई देगा… मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था… नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी… यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है… ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी… नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी… यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है?… ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रख-रखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था… पुल पर कंपनी के नाम का बोर्ड तो मौजूद था, लेकिन क्षमता को लेकर दोनों छोरों पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं लिखी गई थी… जानकारी मिली है कि पुल पर जाने के लिए बड़ों से 17 और बच्चों से 12 रुपए का टिकट वसूला जा रहा था… ओरेवा कंपनी ही टिकट के पैसे वसूल रही थी, लेकिन टिकट चेक करने के लिए दोनों सिरों पर खड़े गार्ड्स ने लोगों की संख्या को चेक नहीं किया… बात साफ-साफ कहें तो चूक हुई है… और चूक के जिम्मेदार ही गुनहगार है जिन्हें सजा मिलनी चाहिए… PM मोदी ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है…और कल मोरवी भी जाएंगे… लेकिन इतना ही काफी नहीं है…मोरवी के गुनहगारों को सजा जरुर मिलनी चाहिए…