वोट की राजनीति और नागरिकता की बात!
शरणार्थी शरणम् गच्छामि…!
नज़र में वोट… जुबान पर नागरिकता!
दिल में ‘खोट’… नज़र में ‘वोट’!
केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान समेत 3 देशों से आए अल्पसंख्यकों को राज्य में नागरिकता देने को मंजूरी दे दी है… इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया गया है… ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र का यह फैसला गुजरात चुनाव को देखते हुए लिया गया है…जिससे की शर्णार्थियों का वोट बीजेपी की अपनी झोली में डाला जा सके… या फिर इसके कोई और राजनीतिक मायने है… आज इस कार्यक्रम में इसी मुद्दे पर करेंगे चर्चा… तो आइए शुरू करते है…
केन्द्रीय गृह केंद्रीय गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार जो हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और ईसाई गुजरात के आणंद और महेसाणा जिले में रह रहे हैं… उन्हें नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 और नागरिकता नियम 2009 के प्रावधानों के तहत भारत के नागरिक के तौर पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाएगी या नागरिकता दी जाएगी… बता दें सीएए में भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान है… लेकिन इस अधिनियम के तहत अभी तक सरकार ने नियम नहीं बनाए हैं… इसलिए अब तक किसी को भी इसके तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती…एसे में जानना जरुरी हो जाता है कि आखिर में नोटिफिकेशन क्या है?
जो हिंदू, सिख, बुद्ध, जैन, पारसी और ईसाई गुजरात के आणंद और महेसाणा जिले में रह रहे हैं। उन्हें नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6 और नागरिकता नियम 2009 के प्रावधानों के तहत भारत के नागरिक के तौर पर रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाएगी या नागरिकता दी जाएगी.. गुजरात के दो जिलों में रहने वाले ऐसे लोगों को अपने आवेदन ऑनलाइन जमा करने होंगे… इसके बाद जिला स्तर पर कलेक्टर इसका वेरिफिकेशन करेगा… आवेदन के साथ कलेक्टर अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेजेगा। पूरी प्रक्रिया के बाद संतुष्ट होने पर कलेक्टर भारतीय नागरिकता प्रदान करेगा और इसका प्रमा-पत्र जारी किया जाएगा…
कलेक्टर की ओर से ऑनलाइन के साथ साथ भौतिक रजिस्टर भी रखा जाएगा। जिसमें भारत के नागरिक के रुप में इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत या देशीयकृत व्यक्तियों का ब्यौरा होगा। उसकी एक कॉपी ऐसे रजिस्ट्रीकरण या देशीकरण के सात दिन की अवधि के भीतर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी।