जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम, मप्र में भी पेसा एक्ट लागू | DEBATE |

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बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस

जनजातीय संस्कृति और विरासत को किया याद

जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम

आदिवासियों को तोहफा

एमपी आदिवासी किसके

फोकस में जनजातीय समुदाय!

क्या हैं राष्ट्रपति के शहडोल दौरे के मायने?

मप्र में भी पेसा एक्ट लागू

विपक्ष ने साधा निशाना

आदिवासियों को लुभाने की कोशिश

इसलिए आदिवासी वोटबैंक अहम

47 सीट आरक्षित, 84 पर सीधा प्रभाव

मध्य प्रदेश में आदिवासियों की सालों से उठ रही मांग पेसा एक्ट लागू हो जाएगा। यह कानून प्रदेश में आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ाएगा। यहां आदिवासियों की जनसंख्या बाहुल्य में है। आदिवासी परम्परा, रीति-रिवाजों, संस्कृति का संरक्षण के लिए यह एक्ट बनाया गया है। इस पर सियासी बयानबाजी हो रही है…किस तरह बीजेपी कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं देखिए एक

पेसा एक्ट को 1996 में लागू किया गया था…इसका पूरा नाम .. पंचायत एक्सटेंशन टू दि शेड्यूल एरियाज एक्ट है… इस कानून को लाने का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए ग्राम सभा…स्वशासन को बढ़ावा देना है…यह कानून आदिवासी समुदाय को स्वशासन की खुद की प्रणाली पर आधारित शासन का अधिकार प्रदान करता है… यह एक्ट ग्राम सभा को विकास योजनाओं को मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है…इस कानून के तहत आदिवासियों को जंगल के संसाधनों का समुचित उपभोग करने का अधिकार मिलता है…अगर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो साफ समझ आ जाएगा कि बीजेपी आदिवासी वोट बैंक पर इतना जोर क्यों दे रही है…असल में मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी पर नजर डालें तो यह दो करोड़ से ज्यादा है…यह दो करोड़ से ज्यादा आदिवासी प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 87 सीटों पर प्रभावी भूमिका में हैं…यानी इन सीटों पर आदिवासी वोट हार या जीत तय कर सकते हैं…इसमें भी खास बात यह है कि इन 87 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं…यही वजह

है कि भाजपा का पूरा फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है…प्रदेश में आदिवासियों की आबादी दो करोड़ के करीब है…इसी कारण बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासी वोटर्स को साधकर रखना चाहते हैं…2018 के चुनाव में कांग्रेस को 47 सीटों में से 30 पर जीत मिली थी

इस एक्ट के लागू होने से पहले विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया.. नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा विधानसभा चुनाव सामने हैं…इसलिए बीजेपी आदिवासियों पर डोरे डाल रही है…बीजेपी सरकार के लिए आदिवासी वर्ग केवल और केवल वोट बैंक से ज्यादा कुछ नहीं है। मध्य प्रदेश में 18 साल से बीजेपी की सरकार है लेकिन कभी आदिवासी वर्ग के हित में पेसा कानून लागू नहीं किया गया… जबकि देश में अन्य 10 राज्यों में पेसा कानून लागू है…

वहीं प्रदेश के गृहमंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने कहा नेता प्रतिपक्ष का बयान उन्होंने भी सुना… सांप बिच्छू जैसी बात हो कर रहे थे… दरअसल जिस प्रकार के लोगों के साथ गिरे हुए रहते हैं ..उनका इशारा उस तरफ रहा होगा… कमलनाथ पेसा एक्ट कानून का विरोध कर रहे हैं ..जबकि हुआ अभी तक जनजाति वर्ग के वोट से जीते रहे हैं…जल जंगल जमीन पर ग्राम सभाओं को अधिकार मिल जाता है…तो इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है…

आदिवासियों के बीच पैठ बनाना बीजेपी और संघ के एजेंडे में शामिल रहा है. यही वजह है कि बीजेपी की सरकार इस वर्ग पर खास फोकस करती हैं. बीजेपी के लिए कांग्रेस के साथ साथ वो उभरते हुए नए संगठन चुनौती हैं जो आदिवासियों में तेजी से पैठ बना रहे हैं. इनमें जयस और गोंडवाना गणतंत्र जैसे संगठन हैं. इन संगठनों की राजनीति हिस्सेदारी ने भी बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक आदिवासियों के कार्यक्रमों में लगातार शिरकत कर रहे हैं…डेस्क रिपोर्ट  न्यूजआर भोपाल.