नेपाल में प्रचंड राज, क्या ‘नेपाल’ बनेगा अगला श्रीलंका | SPECIAL REPORT |

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नेपाल में प्रचंड राज!  

एक्‍शन में चीन!

हिमालय में ट्रेन दौड़ाने की तैयारी

3 साल बाद खोली सीमा

क्या नेपाल बनेगा अगला श्रीलंका?

क्या जकड़ेगा नेपाल चीनी कर्ज के जाल में 

नेपाल में प्रचंड की सरकार बनने के बाद..चीन सक्रीय हो गया है..उसकी बुरी नज़रें भारत के इस पड़ोसी देश को अपनी गिरफ्त में लेने की है..चीन को न सिर्फ 3 साल बाद व्यापार के लिए नेपाल से लगी चीन की सीमा को खोल दिया है..बल्कि हिमालय में ट्रेन दौड़ाने की तैयारी कर रहा है..इसके लिए चीन ने विशेषज्ञों का एक दल मंगलवार को काठमांडू भेजा है..जो हिमालय में दोनों देशों के बीच ट्रेन चलाने की संभावना का अध्यन करेगा..चीनी दूतावास के मुताबिक नेपाल और चीन के बीच यह रेलमार्ग 170 किमी लंबा हो सकता है जो तिब्बत के सीमाई कस्बे केरुंग कस्बा को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ेगा..चीन अगर यह रेललाइन बनाने में सफल हो जाता है कि उसकी ट्रेन सेवा भारतीय सीमा से मात्र 29 किमी दूर तक पहुंच जाएगी..हिमालय के अंदर इस परियोजना को बनाने में जहां इंजीनियरिंग की चुनौती आएगी, वहीं 8 अरब डॉलर का खर्च भी आएगा..इतना ज्‍यादा पैसा नेपाल अकेले वहन नहीं कर पाएगा..वहीं चीन इसे लोन के रूप में नेपाल को देना चाहता है..इससे नेपाल के श्रीलंका की तरह से कर्ज में फंसने की आशंका बढ़ जाएगी..इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने इस चीनी रेल प्रॉजेक्टस पर आपत्ति जताई थी जिससे नेपाल श्रीलंका की तरह से चीनी कर्ज के महाजाल में फंस सकता है |

भारत के रास्ते ही नेपाल व्यापार करता है… यही नहीं चीन ने करीब 3 साल के बाद नेपाल के रासूवागादही सीमा क्रॉसिंग को खोल दिया है…इस रास्ते नेपाल ने 8 कंटेनर माल चीन को भेजा है… रासूवागादही नेपाल और चीन के बीच सबसे पुरानी व्यापार सीमा क्रॉसिंग है… इसके जरिए नेपाल चीन से कपड़े, सेब, जूते, बैग, मोटर बैटरी आदि का आयात भी करता है… यह घटनाक्रम ऐसे समय पर हुआ है जब नेपाल में चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी शर्मा ओली के समर्थन से प्रचंड की सरकार बनी है

Header_ नेपाल के लिये चीन का महत्त्व

1- चीन को भी तिब्बत जैसे मामलों में नेपाल की सहायता की आवश्यकता है, इसलिये चीन के साथ वार्ता में नेपाल को काफी महत्त्व दिया जाता है, साथ ही इसके माध्यम से नेपाल, भारत के ‘बिग ब्रदर’ वाले दृष्टिकोण से मुकाबला कर सकता है।

2- चीन-नेपाल आर्थिक गलियारे के माध्यम से नेपाल, चीन के साथ संपर्क बढ़ाकर अपने व्यापार मार्गों पर भारतीय प्रभुत्व को समाप्त अथवा कम करना चाहता है।

Header_ भारत की चिंताएँ

  1. चीन अपनी ‘सुरक्षा कूटनीति’ का उपयोग नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिये एक उपकरण के रूप में कर सकता है.
  2. नेपाल भारत के लिये एक ‘बफर स्टेट’ के रूप में कार्य करता है, इसलिये इसे चीन के प्रभाव क्षेत्र में जाते देखना किसी भी प्रकार से भारत के रणनीतिक हित में नहीं होगा।
  3. चीन की मज़बूत वित्तीय स्थिति भारत के लिये पड़ोसी देशों में चीन के प्रभाव को नियंत्रित करना और भी चुनौतीपूर्ण बना रही है।
  4. चीन द्वारा तैयार की जा रही ट्रेन सेवा भारतीय सीमा से मात्र 29 किमी दूर तक पहुंच जाएगी! जो किसी भी प्रकार भारत के हित में नहीं होगा।
  5. अब तक नेपाल का व्यापार भारत से ही होता था… नया चीन ने नेपाल के लिए अपनी सीमा खोल दी है… जिससे भारत और नेपाल व्यापार प्रभावित हो सकता है…