पानी से हाहाकार!
अमृतकाल में बूंद-बूंद पानी पर आफत
देवरीखुर्द में गहराया जलसंकट!
गंदा पानी पीने को मजबूर ग्रामीण
बुनियादी सुविधाओं को तरसे ग्रामीण
PHE विभाग ने दिया आश्वासन
आखिर कब मिलेगा परेशानी से छुटकारा ?
जीने के लिए गंदा पानी पीना मजबूरी!
कई किमी का करते है सफर,फिर बुझती है प्यास
ग्रामीण क्षेत्रों में भीषण जल संकट से निजात दिलाने और ग्रामीणों को पेय जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पीएचई विभाग ने कई गांवों में नल योजना का काम तो करवाया, लेकिन वर्षों बाद भी नल जल योजना से ग्रामीणों को एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ है….हम बात कर रहे है कटनी जिले के रीठी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोना के देवरीखुर्द की …जहां ग्रामीणों के लिए किसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है… विभाग लागत योजना का बोर्ड लगाकर वाह वाही लूटने में व्यस्त है..आईए जानते है इस जन मुद्दे में ।
कटनी जिले के रीठी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कोना के देवरीखुर्द में 77 लाख 31 हजार रुपये की लागत से निर्माणाधीन पानी की टँकी तो बनाई गई और ट्रायल भी किया गया…लेकिन आज तक सम्बंधित ठेकेदार कार्यपालन यंत्री P.H.E. ने इस ओर ध्यान दिया.. जिस तालाब में जानवर लोटते हो कचरा कुरा से भरा तालाब हो… जिस पानी को जानवर पी रहे है, विडम्बना देखिए कि कटनी मुखयालय से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित देवरीखुर्द के ग्रामीणों को भी इसी तालाब से पीने के पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा….जिसका परिणाम ये है कि ग्रामवासी पीने के पानी गाँव के गन्दे पोखर तालाब से ही पानी भरकर घरों को ले जाते है..साथ ही पीने के इस्तेमाल में कर रहे है….यही नही जो हेण्डपम्प गाँव में लगे है वो भी सूखे पड़े है….. बदहाल हाल ये सभी अधिकारी व ठेकेदार के मनमानी रवैया जिससे परेसान मजबूर ग्रामीण इस गन्दे तालाब से पानी पीने को मजबूर है….वही इस मामले को सम्बंधित PHE कार्यपालन अधिकारी को अवगत कराया गया ….तो हरकत में आये और दो दिन बाद टँकी को चालू कराने की बात कही…..इससे पूर्व इन अधिकरियो को ठेकेदार के उदासीन रवैया से ग्रामीण जन नरकीय जीवन जीने को मजबूर है..अब देखना यह होगा की इस तहर के हाल कब तक बने रहते है….मुख्यमंत्री की नलजल योजना का लाभ यहा के ग्रामीणों को मिल पाते है.. या नहीं देखेने वाली बात है….में लापरवाही मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के बाद दोषी अधिकारियों के साफ स्वच्छ पानी के लिए गांव वालों को 2 किलोमीटर दूर जाकर पानी भरने जाना पड़ता है जो भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है,विवस होकर गाँव के लोग अपना जीवन निर्वाह इस तालाब के पानी से ही अपनी पीने के पानी से पूर्ति कर रहे है।