ये कैसा आदिवासी दिवस, मूलभूत सुविधा को तरसते आदिवासी | JAN MUDDA |

JAN MUDDA

आदिवासी वर्ग लोग कितनी परेशानी के बीच जीवन बीता रहे हैं…यह देखना हो तो सतना जिले के खैरगढ़ मझगवा चले जाईये… आदिवासह बहुल ये गांव चित्रकूट विधानसभा में आने वाली नरदहा ग्राम पंचायत में बसा है…जहां आदिवासियों के बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही है … बस्ती में सैकड़ों घर बने हैं …लेकिन मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं…सड़की हालत ये है कि बारिश में किचड और दलदल में चलना पड़ता है …जहां इन आदिवासियों की बस्ती है… वह मुख्य गांव से तीन किलोमीटर दूर है…ऐसे में आने जाने का यही एक रास्ता है…जो बारिश के दिनों में दलदल में बदल जाता है…तस्वीरों में आप देख रहे होंगे कि ऐसे में वाहन निकलना तो दूर पैदल चलना दूभर है…परेशानी तब खड़ी होती है जब गांव में कोई बीमार हो जाए …या किसी गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाना हो…बच्चे भी इस रास्ते से स्कूल जाते हैं… देश भर में आज विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है …ण्मपी में भी इसे लेकर रंगारंग सास्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है …आज ही के दिन 1895 में बिरसा ने अंग्रेजों कीे जमींदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी…यह सिर्फ विद्रोह नहीं था… बल्कि यह आदिवासी अस्मिता… स्वायत्तता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था…लेकिन प्रदेश के सतना में आदिवासी आज भी किस तरह मूलभूत सुविधाओं को तरह रहे हैं…देखिए एक रिपोर्ट…