एमपी में 47 सीटों का सियासी खेल, पार्टियों की नज़र आदिवासियों की ओर | DEBATE |
आदिवासी से ‘आस’ !
एमपी में 47 सीटों का सियासी खेल
आदिवासियों को साधने में जुटी कांग्रेस-बीजेपी
क्या है सरकार का मास्टर स्ट्रोक
पार्टियों की नज़र आदिवासियों की ओर
क्या है पेसा एक्ट?
मध्यप्रदेश में 2023 में विधानसभा के चुनाव होना है…और एक बार फिर बीजेपी और कांग्रेस की नजर आदिवासी वोट बैंक पर है…इसी के चलते दोनों ही पार्टियां आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश में जुटी हुई हैं…इसके संकेत बीजेपी और कांग्रेस की तैयारियों से साफ दिखाई दे रहे हैं…कांग्रेस और जयस की नजदिकियों को भांपते हुए सरकार अब मास्टर स्ट्रोक चलने वाली है क्या कुछ है सरकार की तैयारी देखिए पूरी रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक कहीं न कहीं सत्ता की चाबी कहा जाता है…दरअसल मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं…तो वहीं 30 सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी वोट बैंक हार और जीत का फैसला करता है…जहां 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 31 आदिवासी सीटों पर जीत हासिल की थी…तो वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक ने अपनी करवट बदली और बीजेपी के खाते में सिर्फ 16 सीटें आई और साथ ही सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा…अब बीजेपी सरकार मास्टर स्ट्रोक खेलने की तैयारी में है….और 15 नवंबर बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर मध्य प्रदेश पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम “पेसा एक्ट” लागू करने जा रही है…
आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभा शक्तिशाली हो जाएंगी’
‘बिना अनुमति शराब दुकान नहीं खुल सकेंगी’
‘खनन के लिए भी ग्राम सभा की अनुमति लेना अनिवार्य होगी’
‘आदिवासियों को यह कानून शक्ति संपन्न् बनाएगा’
पेसा एक्ट लागू होते ही आदिवासियों को कई शक्तियां मिल जाएंगी और इसका फायदा बीजेपी कहीं ना कहीं उठाना चाहती है…बीजेपी का कहना है आदिवासियों के विकास के लिए हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है…और कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को अपना वोट बैंक समझा है…पर आदिवासी वर्ग के लोग अब समझ चुके हैं…और वह बीजेपी के साथ जुड़ रहे हैं…और पेसा एक्ट लागू करने का मकसद भी बीजेपी का यही है कि…आदिवासियों को सशक्त बनाया जाए।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि…आदिवासियों का समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है… जिससे बीजेपी डरी हुई है और पेसा एक्ट लागू कर आदिवासियों को भ्रमित करना चाहती है…जबकि कांग्रेस ने आदिवासियों को सबसे ज्यादा अवसर देने का काम किया है और आने वाले चुनाव में भी आदिवासी वर्ग कांग्रेस के साथ नजर आएगा और 2023 में फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी।
अब देखना होगा की पेसा एक्ट लागू होने के बाद आदिवासी वर्ग बीजेपी को सत्ता की चाबी सौंपता है या फिर कांग्रेस को कुर्सी पर बैठाता है।