आदिवासी दिलाएंगे सत्ता की चाबी, मप्र में किसका साथ देंगे आदिवासी | DEBATE |

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आदिवासी दिलाएंगे सत्ता की चाबी ?

आदिवासी वोट साधने BJP का प्लान

रानी दुर्गावती की गौरव यात्रा निकालेंगी बीजेपी

अमित शाह करेंगे यात्रा का शुभारंभ !

PM की उपस्थिति में समापन

कैसे बदला आदिवासी सीटों पर समीकरण  

मप्र में किसका साथ देंगे आदिवासी

22 जून से बीजेपी निकालेगी यात्रा

वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा

पांच आदिवासी अंचलों से निकाली जाएगी यात्रा

बालाघाट से शहडोल के लिए प्रारंभ होगी यात्रा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे यात्रा का शुभारंभ

27 जून को होगा यात्रा का समापन

रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का समापन

शहडोल में पीएम मोदी की मौजूदगी यात्रा का समापन

चुनाव से पहले आदिवासी हुए खास

सियासी दलों के लिए हुए आदिवासी खास 

यात्रा के जरिए 47 सीटों पर बीजेपी की नजर

एमपी में 47 सीट हैं जनजाति के लिए आरक्षित

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी आदिवासियों के सहारे सत्ता पाने की कवायद में जुट गई है…महिलाओं और युवाओं को साधने के बाद प्रदेश के बढ़े वोट बैंक आदिवासी वर्ग सियासी पार्टियों की नजर है…इस पर सियासत भी हो रही है…​ आज इसी मुद्दे पर करेंगे आमना- सामना… तो आइए शुरु करते हैं… सत्ता की चाबी

एमपी में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव हैं…इससे पहले आदिवासी वर्ग पर सियासी दलों की नजर है…और अब इन्हीं आदिवासियों को साधने के लिए नेता एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं…कांग्रेस के बाद बीजेपी आदिवासी क्षेत्र में सक्रियता बढ़ाती नजर आ रही है…इसके लिए अब बीजेपी ने किस तरह प्लान बनाया है…पहले  देखिए हैं एक रिपोर्ट

चुनाव से पहले आदिवासी वर्ग के लोग सियासी दलों के लिए खास हो गए हैं…बीजेपी 22 जून को प्रदेश के पांच अंचलों से वीरांगना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकालने जा रही है…वहीं कांग्रेस दावा कर रही है आदिवासी उसके साथ हैं…इस पर किस तरह सियासत गरमा गई है… 22 जून को मध्यप्रदेश के पांच अंचल से वीरागंना रानी दुर्गावती गौरव यात्रा बालाघाट से शहडोल के लिए प्रारंभ होगी…इसका शुभारंभ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे..

कांग्रेस के आदिवासी वर्ग के विधायक और पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का दावा है कि बीजेपी ने आदिवासी वर्ग का शोषण ही किया है…पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव में आदिवासी कांग्रेस का ही साथ देंगे

मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों में से 47 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं… 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 30 और बीजेपी को 16 सीट पर जीत मिली थी। एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। इसके अलावा 30 सीटों पर आदिवासी वोटर प्रभाव रखते हैं… इसलिए कहा जाता है कि आदिवासी वोट जिस दल को मिला वह सत्ता के सिंहासन पर पहुंचा है…अब बीजेपी और कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियां भी आदिवासी वर्ग को साधने में जुटे हुए है…यहीं वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पूरी ताकत लगा रहे है..सरकार आदिवासियों को साधने के लिए पेसा एक्ट से लेकर कई योजनाओं का शुभारंभ किया है…वहीं, कांग्रेस ने भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का रूट आदिवासी वोटर को साधने के हिसाब से तय किया था…हाल ही में प्रियंका गांधी ने भी जबलपुर में कांग्रेस की जनसभा को संबोधित करने से पहले रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया था

राज्य की सियासत में आदिवासी वोट बैंक की खासी अहमियत है.. क्योंकि आदिवासी वोट बैंक का समर्थन सत्ता का रास्ता तय करने वाला होता है… जिस भी दल को इस वर्ग का समर्थन मिला तो उसने सत्ता हासिल कर ली.. इसकी वजह भी है, क्योंकि राज्य की 47 विधानसभा सीटें इस वर्ग की हैं…ऐसे में देखना होगा की इस बार आदिवासी किसका साथ निभाएंगे…डेस्क रिपोर्ट NEWS HOUR भोपाल |