इतिहास को बदला नहीं जा सकता…लेकिन इतिहास को दोबारा परखा जा सकता है और लिखा भी जा सकता है…लेकिन ये सबूतों के साथ एक बहुत लंबी प्रक्रिया होगी…इस मामले में विचार की दो धाराएं हैं..एक वो जो ऐसी किसी भी कोशिश को गैर जरुरी मानती है…एक वो जो इसे जीवन मरण का प्रश्न मानती है…अब विचार धारा चाहे जो भी हो….धरोहरों की नई जंग शहर शहर और राज्य राज्य तब पहुंच चुकी है…इसी रार की जंग में अब कुतुबमिनार भी आ गया है…कुतुबमिनार सवालों के घेरे में आ गया है…हिन्दू संगठनों का दावा है कि करीब 200 मंदिर तोड़कर कुतुब मिनार का निर्माण किया गया था…ऐसे में इसका नाम बदलकर विष्णु स्तंभ किये जाने की मांग की जा रही है..ये मामला भी कोर्ट की चौखट तक जा पहुंचा है….
क्या 27 हिंदु और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है कुतुब मिनार…ये कुतुब मिनार है या विष्णु स्तंभ…सच क्या है…क्या मंदिरों को तोड़कर इसे बनाए जाने के सबूत मिल गए हैं…हिन्दू मुस्लिम…मंदिर मस्जिद..हलाल झटका…हिजबा —भगवा, अजान हनुमान…देश के किसी भी हिस्से में कोई भी भाषा हो…कोई भी लोग हों…कोई भी वर्ग हो…मुद्दा है तो बस यहीं…एक मुद्दा खत्म नहीं होता कि दूसरा खड़ा हो जाता है…अब कुतुब मिनार को लेकर हंगामा खड़ा हुआ है…मांग की जा रही है कि कुतुब मिनार को विष्णु स्तंभ घोषित किया जाए…दरअसल ये पूरा मामला तब सुर्खियों में आया जब राष्ट्रीय स्मारक प्राधीकरण ने कुतुब मिनार परिसर में लगी भगवान गणेश की दो मूर्तियों को वहा से हटाने का फैसला किया…मार्च में एएसआई को भेजे पत्र में प्राधीकरण ने कहा था कि संग्रहालय में मूर्तियों को सम्मान जनक तरीके से रखा जाना चाहिए… मूर्तियों को हटाए जाने की बात जंगल की आग की तरह फैल गई…मामला कोर्ट अब जा पहुंचा है…जहां इसे सबूतों और गवाहों की कसौटी पर कसा जाएगा…जहां पत्थरों की कॉबन डेटिंग से लेकर खसरा खतौनी तक..मूर्तियों की वास्तुकला से लेकर इतिहास की किताब तक सब खंगाला जाएगा…
कुतुब मिनार है या विष्णु स्तंभ मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में सुनवाई से पहले केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पुरातत्व विभाग यानी ASI से कुतुबमीनार कॉम्प्लेक्स की खुदाई करने के लिए कहा है… मंत्रालय ने इसकी रिपोर्ट भी तलब की है… मंत्रालय ने साथ ही कहा है कि सर्वे कर मूर्तियों की डिटेल रिपोर्ट तैयार करें…साकेत कोर्ट में 17 मई को कुतुबमीनार परिसर में पूजा की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टल गई थी…यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने 2022 में याचिका दाखिल की थी…याचिका में कहा गया था कि कुतुबमीनार स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को हिन्दू और जैन धर्म के 27 मंदिर को तोड़कर बनाया गया है…ऐसे में वहां फिर से मूर्तियां स्थापित की जाएं और पूजा करने की इजाजत दी जाए….इसे लेकर कोर्ट में अगली सुनवाई 24 मई को होनी है.मुस्लिम पक्ष का कहना है मिनार के निर्माण का काम 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरु कराया था…लेकिन कुतुबुद्दीन ऐबक इसका आधार ही बनावा सका…उसके उत्तराधिकारी इल्तुमिश ने तीन मंजिलों को जोड़ा…और साल 1368 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवी और अंतिम मंजिल बनवाई…मिनार को बनाने में लाल पत्थर का इस्तेमाल हुआ … इतिहासकारों का कहना है ये मिनार कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाया से सच है…ये ज्ञात तथ्य है…लेकिन ये भी सच्चाई है कि कुतुबमिनार परिसर को 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को तोड़ कर बनाया गया है…
कुतुब मीनार में रखी भगवान गणेश की मूर्तियों को लेकर भी विवाद हुआ था… महरौली से बीजेपी की निगम पार्षद आरती सिंह ने मांग की थी कि मूर्तियों को कुतुब मीनार में ही उचित स्थान पर रखकर वहां पूजा-आरती कराई जाए…बता दें कि कुतुब मीनार में मंदिर होने और देवी-देवताओं की मूर्तियों को अपमानित तरीके से रखने का विवाद दशकों पुराना है… रिपोर्ट के मुताबिक कुतुबमीनार के पास स्थित मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई की जा सकती है… मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने इसके लिए हाईलेवल मीटिंग भी की… कुतुबमीनार में 1991 में अंतिम बार खुदाई का काम हुआ था…यह कुतुब मीनार नहीं, सन टॉवर है… उनके पास इस संबंध में बहुत सारे सबूत हैं…डेस्क रिपोर्ट NEWSHOUR